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RG Kar Medical College trainee doctor rape murder – 100 गवाह, 12 पॉलीग्राफ टेस्ट और सीडीआर… CBI-CFSL रिपोर्ट से कोलकाता कांड में बड़ा खुलासा – Kolkata RG Kar Medical College trainee doctor rape murder CBI CFSL report disclosure police crime pvzs

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर की वारदात को लेकर एक

RG Kar Medical College trainee doctor rape murder – 100 गवाह, 12 पॉलीग्राफ टेस्ट और सीडीआर… CBI-CFSL रिपोर्ट से कोलकाता कांड में बड़ा खुलासा – Kolkata RG Kar Medical College trainee doctor rape murder CBI CFSL report disclosure police crime pvzs


कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर की वारदात को लेकर एक नया खुलासा हुआ है. जिसके मुताबिक, वारदात को सेमिनार रूम में अंजाम देने की बात कही गई. कोलकाता पुलिस से लेकर सीबीआई तक ने अपनी शुरुआती तफ्तीश में कुछ ऐसा ही पाया था. लेकिन अब सीबीआई सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेब्रोटरी (CBI-CFSL) की एक रिपोर्ट ने इस मामले को फिर से उलझा दिया है. क्योंकि ये रिपोर्ट ये बताती है कि मौका-ए-वारदात पर यानी जिस जगह से पीड़ित डॉक्टर की लाश बरामद हुई, वहां ना तो उस मैट्रेस पर और ना ही सेमिनार रूम में कहीं और डॉक्टर के साथ कोई संघर्ष या जोर-जबरदस्ती के निशान मिले हैं.

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद, अब सवाल उठता है कि अगर डॉक्टर के साथ रेप और क़त्ल की वारदात उसी सेमिनार रूम में और उसी मैट्रेस पर हुई, तो फिर वहां संघर्ष के निशान क्यों नहीं हैं? इसी के साथ एक सवाल ये भी उठता है कि अगर वहां संघर्ष के निशान मौजूद नहीं हैं, तो इसका मतलब कहीं ये तो नहीं कि लड़की के साथ ज्यादती कहीं और हुई और फिर लाश को सेमिनार रूम में ला कर फेंक दिया गया? 

सीबीआई की CFSL रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
फिलहाल, सीएफएसएल की इस रिपोर्ट ने कुछ ऐसे सवाल खड़े कर दिए हैं. दूसरे अल्फाज़ में कहें तो इस रिपोर्ट ने मामले को लेकर नए सिरे से असमंजस के हालात पैदा कर दिए हैं. इस रिपोर्ट के आखिरी पेज यानी पेज नंबर 12 पर देखा जाए तो मौका-ए-वारदात को लेकर प्वाइंट वाइज़ यानी बिंदुवार तरीके से कुछ बातें लिखी हैं.

मौके पर नहीं मिले बायलॉजिकल स्टेन
मसलन, लकड़ी के स्टेज के ऊपर रखे मैट्रेस के अलावा उसके आस-पास, स्टेज पर, पास में रखे ब्लू शीट टॉप वाले लकड़ी के टेबल पर, जांच में कहीं भी कोई बायलॉजीकल स्टेन यानी किसी इंसान के शरीर के किसी डिपोज़िट के दाग़ नहीं मिले हैं. लकड़ी के स्टेज पर रखे मैट्रेस के अलावा सेमिनार रूम के फ़र्श पर भी कहीं कोई बायलॉजिकल स्टेन नहीं मिला, जबकि सेमिनार रूम को ही मौका-ए-वारदात बताया गया था.

दिल्ली CFSL ने CBI को सौंपे थे सबूत
मौके पर मिले सुराग मसलन सीएफएसएल दिल्ली की टीम की ओर से इकट्ठा किए गए दवाई का फटा हुआ रैपर, मोबाइल का बैक कवर, फटे हुए पेपर के टुकड़े, मैट्रेस से काट कर निकाले गए दाग के टुकड़े वगैरह इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए सीबीआई के जांच अधिकारी के हवाले कर दिए गए थे.

नहीं मिले आरोपी और पीड़िता के बीच संघर्ष के निशान
मैट्रेस के कट मार्क एरिया पर गौर करने से ये साफ है कि ये मैट्रेस के उसी एरिया के हिस्से हैं, जहां पीड़ित लड़की का सिर और पेट का निचला हिस्सा था. हालांकि आरोपी और पीड़ित लड़की के बीच यहां हुए संभावित संघर्ष के कोई भी निशान इस जगह पर मौजूद नहीं थे. जैसे कि मैट्रेस, लकड़ी के स्टेज या सेमिनार हॉल के अंदर कहीं और.

इस बात की संभावना कम है कि कोई बगैर किसी की निगाहों में आए, अपराध को अंजाम देने के लिए सेमिनार हॉल के अंदर के दाखिल हो सकता है. क्योंकि अस्पताल में सातों दिन और चौबीसों घंटे, डॉक्टर, नर्स, अटेंडीज़ और दूसरे लोग मौजूद होते हैं. यानी ये रिपोर्ट ये तो बताती है कि मौका-ए-वारदात पर पीड़ित लड़की और आरोपी के बीच संघर्ष के कोई सबूत नहीं हैं. 

क्या CBI जांच से पहले बदला गया सीन ऑफ क्राइम?
ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर उसी हॉल के अंदर रेप और कत्ल जैसी वारदात हुई है, तो फिर संघर्ष के निशान कहां चले गए? आपको याद होगा शुरू से ही इस मामले में सीन ऑफ क्राइम के साथ छेड़छाड़ करने की बात कही जाती रही है, इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सवाल उठता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी ने सीबीआई सीएफएसएल के एक्सपर्ट्स के सीन ऑफ क्राइम के मुआयने से पहले ही सीन ऑफ क्राइम को बदल दिया. यदि हां, वो कौन है. फिलहाल इस सवाल से भी इनकार किया जा सकता है. 

CCTV फुटेज तो मिली, पर कोई चश्मदीद नहीं
रिपोर्ट कहती है कि कोई भी इंसान बगैर किसी की निगाहों में आए चुपके इस हॉल में वारदात को अंजाम देने के लिए दाखिल भी नहीं हो सकता है. यदि ऐसा ही है तो फिर किसी ने आरोपी को सेमिनार हॉल में जाते हुए देखा क्यों नहीं? ध्यान दीजिएगा कि इस मामले में सीबीआई को वारदात के वक्त अस्पताल में संजय रॉय के आने और जाने के सीसीटीवी फुटेज तो मिले हैं, लेकिन उसे सेमिनार हॉल के अंदर जाते हुए देखने वाला कोई चश्मदीद नहीं मिला है. 

चार्जशीट और दूसरी बातों में फर्क 
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर की वारदात 9 अगस्त को हुई थी, जिस मामले की शुरुआती जांच कोलकाता पुलिस और फिर सीबीआई ने की और उसने 7 अक्टूबर को इस मामले में अपनी चार्जशीट भी दाखिल कर दी. सीएफएसएल की ये रिपोर्ट भी उसी चार्जशीट का हिस्सा है. यानी ये रिपोर्ट सीबीआई की चार्जशीट में दर्ज दूसरी बातों से पूरी तरह मेल नहीं खाती है. 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या मिला?
सबसे पहले तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप के बाद कत्ल की पुष्टि की गई थी. इसके साथ ही ये भी कहा गया था कि ट्रेनी डॉक्टर का कत्ल गला घोंट कर रात 3 से 5 बजे के दरम्यान किया गया. आरोपी ने पीड़ित के साथ एबनॉर्मल तरीके से यौन अत्याचार किया, जिससे उसके प्राइवेट पार्ट में गहरा घाव पाया गया. ऐसा करते हुए उसे रोकने और चिल्लाने के लिए उसके नाक मुंह और गले को दबाया गया, जिससे उसका थाइराइ़ड कार्टिलेज भी टूट गया. उसके सिर को दीवार से सटाया गया, जिससे वो चिल्ला ना सके, उसके पेट, होंठ, ऊंगलियों और बांए पैर में चोट के निशान मिले. और तो और उस पर हमला इतनी जोर से किया गया उसका चश्मा तक टूट गया और उसके शीशे आंखों में घुस गए थे. 

गैंग रेप की बात से इनकार
इसी तरह पीड़िता के चेहरे पर आरोपी के नाखुनों से बने खरोंच के निशान मिले. यानी ट्रेनी डॉक्टर ने खुद को रेप से बचाने की पुरजोर कोशिश की थी. अब सवाल ये है कि अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लिखी ये बातें सही हैं, तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि मौका ए वारदात पर कोई संघर्ष के निशान ही ना मिलें? सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में पीड़ित ट्रेनी डॉक्टर के साथ गैंगरेप की बात से इनकार किया है. यानी सीबीआई के मुताबिक रेप और कत्ल करने वाला एक ही शख्स संजय रॉय है.

सीमन और खून के सैंपल आरोपी से मैच
उसकी चार्जशीट में 100 गवाहों के बयान के साथ-साथ 12 पॉलीग्राफ टेस्ट रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज, फॉरेंसिक रिपोर्ट के साथ मोबाइल कॉल डिटेल और लोकेशन की रिपोर्ट शामिल है. मौके से मिले टूटे ब्लूटूथ से आरोपी के फोन का कनेक्ट होना भी इस बात का एक अहम सबूत माना गया कि ट्रेनी डॉक्टर के साथ ज्यादती करने वाला संजय रॉय ही है. यहां तक कि पीड़िता के शरीर से मिला सीमन और खून के सैंपल भी आरोपी से मैच हो चुके हैं. जबकि क्राइम सीन पर मिले छोटे बाल भी आरोपी के होने की पुष्टि डीएनए जांच से हो चुकी है. ऐसे में संजय रॉय के खिलाफ सबूत तो कई हैं, लेकिन सीएफएसएल रिपोर्ट तमाम तथ्यों को उलझाने के लिए काफी है.

(कोलकाता से राजेश साहा और मनीषा झा के साथ सुप्रतिम बनर्जी)



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